Friday, October 28, 2011

Letter to Annaji by Sh. Kumar Visvash

Letter to Annaji by Sh. Kumar Visvash

Letter to Anna  Hazareji


ीमान अ ा हजारे रालेगन िसि महारा आदरणीय अ ा जी, णाम आशा है आप

स्वस्थ एवं सानंद ह गे.
िदनांक- 28-10-2011
िपछले कु छ िदन से एक िवशेष मु े पर आप से बात करने का मन था. य िप म नह चाहता था िक आपके पिव मौन की ऊजार् इस ष िलख रहा हूँ. वस्था म ा ाचार के िवरु जब आपने िबगुल बजाया, तो कोिट-कोिट उ िलत और चेतना-संप े भारतीय आपके साित्वक नेतृत्व म बढ़ चले. स्वाधीनता के बाद देश को पहली बार ऐसा लग रहा है िक स्वराज और जनतं की मूल अवधारणा, िवचार और ि या के स्तर पर एक होने वाली है. रामलीला मैदान पर आपके साहिसक अनशन ने पूरे देश म एक ऐसी सकारात्मक ऊजार् का समावेश िकया है, िजसे रोक पाना देख कर पूरा िव िकया िक आपके नेतृत्व को ा से णाम कर रहा है. ने तथा िव भर म हुए उसके समथर्न ने क सरकार को मजबूर ताक़त के बस म नह है. एक बड़े सरोकार को पाने की िदशा म बढ़ते भारत के इस अिहसक और शि शाली आवेग को रामलीला मैदान म उमड़ी जनता की शि ं कारी कोलाहल की सूचना से भंग करू, तथािप म िववश हो कर यह प आपको ँ
ाचार के िखलाफ एक मज़बूत जन-लोकपाल लाने की तरफ कदम बढ़ाए. लेिकन कु छ ामक कदम
उठाने के अलावा सरकार ने अब तक इस मु े पर कोई ठोस कायर्वाई नह की. एक ओर तो माननीय धानमं ी जी प िलख कर आपको आ स्त करते ह िक लोकपाल की िदशा म आवश्यक कायर्वाई होगी, तो दूसरी ओर स ाधारी पाट के नेतागण आपकी और कोर किमटी के एक-एक को धूिमल करने म जी-जान से जुटे ह. दरअसल इस संघषर् म िवराट जन-शि सन्देश के अतिर के अलावा तीन महत्वपूणर् भाग और ह, िजन म आप के नेतृत्व, आप के ित पूरे देश को अखंड और अटू ट िव ास है. यही कारण है िक ारा आपके ऊपर एक संगठनात्मक ढांचा भी मुख तत्व है . ाचािरय के बस म अब नह है .पहले जब कु छ राजनैितक चेहर ं कारी ताक़ ि की सावर्जिनक छिव एवं िव सनीयता
आन्दोलन का नेतृत्व आपके हाथो म है िजस के आप को ल य करना यह , कु च ी और ष
मौिखक रूप से हमला करने की जो कोिशश की गयी, तब उसे जनता ने एक िसरे से ख़ािरज कर िदया था. अत: समझ गयी ह की आप पर हमला करने से जन-लोकपाल के बढ़ते ाचार के िखलाफ एक साथर्क संवैधािनक ाचार क़दम को रोकना संभव नह . आन्दोलन का सन्देश भी आप की ही तरह सरल और स्प है- " से लड़ाई". संपूणर् देश को इस पिव आन्दोलन के सन्देश (उ ेश्य) पर भी रं च मा संदह नह है. पूरा देश े िथत ह. इसिलए वाह आपकी एक आवाज़ पर चल पड़ने के िलए तत्पर है.
इस आन्दो ोलन की तीसर मह वपूणर् क ह वे कु छ लोग, जो आ री कड़ी आपके सहायक के रूप म इस आन्दोलन के िलए स क अहिनश क रत ह. इन सब सामान् पािरवािरक भारतीय न कायर् न न्य क नागिरक की भाई-बिहन की तरह न किमटी' औ मीिडया क िम 'टीम-अ ा' कहते ह, पर और के अ था भी अप करोड़ भा पने ारतीय ि गत ाचार से उप अराजकत ही है. इन सब लोगो के समूह, िजसे स पजी ता सामान्य लोग 'कोरताक़त की ओर से एक-एक कर िकए गए त स
हमले इस बात का माण ह, िक ये त ण ताक़ते इस बड़े संघषर् म सि य लोग को झठे, तात्कािल बे-बुिनयाद और झू लक, द छोटे आरो िक आड़ म आहत, तटस्थ या िनिष् य करना चाहती ह. इन सब ोप स्थ ती ाचािरय क मुख्य उ ेश् इस का श्य ामक जन-आन्दो ोलन को कमज़ करना औ जन-लोकपा की बजाए संगठन को ज् ज़ोर और ाल ए ज्यादा बड़ा मु ा बना कर म
तथ्य के आ आधार पर आन् न्दोलन को िदशा- िमत कर है. ये वही लोग ह जो स जिनक रूप से सामािजक क्षे रना ी सावर् प क म काम क वाले लोग या समूह क धमकी देते ह िक उन का भी वही हाल िकया जायेग जो ऐसी आ करने ग को ा ल गा आवाज़ उठाने वाले अन्य लोग का पूवर् म िकय जा चुका है. य िप हम ऐसे लोग या ताकत को अ िवचार य मन ले या अपने या म कु छ भी स्थान नह देते िकन्तु ऐसा तीत होता है िक इन सब हमल और उन की सफाई देने से मूल म े से ी ा ब ई मु धयान हटा का इन का षड़यं बलश ाने ा शाली होगा. ऐ होने पर न के वल जन-ल ऐसा लोकपाल का मु ा भािवत होगा, अिपतु करो भारतवा रोडो ािसय के उस िव ास को भी आघात प चेगा, िजस वो संवैधाि पहुं समे िनक, अिहसक और क शांितपूणर् त तरीके से देश की समस्या क का हल ढू ंढते ह. ऐसी िस्थत म बड़ी सहजता, आद और आपके अि तीय नेतत्व म संपूणर् िव ास के स म यह िन दन तय स दर क तृ साथ िनवे करना चाह हूँ, िक आप सीिमत लो की इस क किमटी क िवस्तार दे कर इसे १२ करोड़ लोग की हता आ लोग कोर को २१ ग 'हाडर्-कोर किमटी' म रूपांतिरत कर द. जैसा िक आ भी कहते ह, िक ये लड़ रू आप त ड़ाई नह , बिल्क ल्क तो िरकाल तथा अन्य मह वपूणर् ल' म ि या स ा पिरवतर्न की ा तर् वस्था-पि िरवतर्न की लड़ है. जन-ल ड़ाई लोकपाल के सा ाथ-साथ और बाद म 'राईट तो िरजेक्ट', 'राईट ट व वस्था पिरवतर्क आन्दोलन जो हम देश की जनता के साथ िमलकर लड़ ह, थ ड़ने एवं स्तुत ह. इन सब बात को ध्यान म रखते हुए म पुन: ए त व वस्था का सृजन कर,
उनम आप हर मोच पर एक नयी 'क पको प कोर-किमटी' औ एक नयी 'टीम अ ा' की ज़रुरत पड़ेग जो आप की एक और गी, आवाज़ पर चल पड़ने के िलए उत्सुक ितब र क, िजस से ाचार-मु आपसे िनवेदन करता हूँ िक आप इस वतर्मान कोर किमटी को स्थिगत कर ए नयी वे स र एक नव-भारत का हम सब का स न सपना साकार ह सके . हो
सादर र डा कु मार िव ास

Source : http://www.scribd.com/doc/70625799/Letter-to-Anna

टीम अन्ना की कोर कमेटी होगी भंग

टीम अन्ना की कोर कमेटी होगी भंग ( Dissolution of Anna's Core Commitee)

केंद्र की संप्रग सरकार और उसकी अगुआई कर रही कांग्रेस की ओर से लगातार तेज होते जा रहे हमलों के मद्देनजर टीम अन्ना ने भी अपनी रणनीति बदल दी है। अब संगठन की औपचारिक व्यवस्था को ही खत्म कर दिया जाएगा। खुद अन्ना हजारे इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं थे, लेकिन उनकी रजामंदी के बाद अब कोर कमेटी मंगलवार को खुद को भंग करने का प्रस्ताव पारित करेगी।
शनिवार को कोर कमेटी की बैठक के दौरान बेहद चौंकाने वाला फैसला किया जा सकता है। अधिकतर सदस्यों में इस बात पर सहमति हो गई है कि आंदोलन के दौरान शुरू की गई कोर कमेटी की औपचारिक व्यवस्था को फिलहाल खत्म कर दिया जाए। प्रस्ताव में कहा जाएगा 'कोर कमेटी में अब सिर्फ 24 नहीं, बल्कि देश के 121 करोड़ लोग शामिल होंगे।'
कोर कमेटी के एक सदस्य कुमार विश्वास ने शुक्रवार को अन्ना को संबोधित पत्र सार्वजनिक कर इस बात के संकेत भी दे दिए। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है 'सत्ताधारी पार्टी के नेतागण आपकी और कोर कमेटी के एक-एक व्यक्ति की सार्वजनिक छवि और विश्वसनीयता को धूमिल करने में जी-जान से जुटे हुए हैं।' विश्वास ने लिखा है कि वर्तमान कोर कमेटी को स्थगित कर नई व्यवस्था खड़ी की जाए। इसी तरह मेधा पाटकर ने भी इस कदम की ओर संकेत दिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह एक के बाद एक लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए आंदोलन के लिए भी रणनीति बदलना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि जो भी कदम उठाया जाएगा, वह आपसी मतभेद की वजह से नहीं है। इसका मकसद साजिश रचने वालों को उनके मकसद में नाकाम करना है।
गांधीवादी नेता पीवी राजगोपाल और जल पुरुष राजेंद्र सिंह के इस्तीफे के बाद इस समय कोर कमेटी में कुल 24 सदस्य हैं। इनमें संतोष हेगड़े, मेधा पाटकर और कुमार विश्वास को छोड़ कर बाकी सदस्यों ने शनिवार की बैठक में मौजूद रहने की सहमति दी है। इन तीनों ने अपने पहले से तय कार्यक्रमों की वजह से माफी मांगते हुए हर फैसले में खुद को शरीक माने जाने की बात कही है।
अन्ना को हालांकि इस प्रस्ताव के लिए राजी कर लिया गया है, लेकिन बैठक खत्म होते ही अरविंद केजरीवाल इस प्रस्ताव के साथ अन्ना के गांव रालेगण सिद्धि रवाना हो जाएंगे। पिछले कुछ दिनों से टीम अन्ना के सदस्य लगातार कई तरह के विवादों में घिरे हुए हैं। इसमें कश्मीर पर जनमत संग्रह के संबंध में प्रशांत भूषण के बयान से लेकर किरण बेदी की ओर से अपनी हवाई यात्रा के लिए कार्यक्रमों के आयोजकों से ज्यादा रकम वसूलने तक के मामले शामिल हैं।
News source : http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/Crucial-Team-Anna-meeting-tomorrow_5_2_8409359.html
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बैठक में शामिल नहीं होंगे अन्ना, हेगड़े और पाटकर
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने टीम में मतभेदों की अटकलों के बीच शनिवार को होने वाली इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) की कोर कमेटी की बैठक में 'स्वास्थ्य कारणों' से शामिल नहीं होने की बात कही है, वहीं कोर कमेटी के एक सदस्य कुमार विश्वास ने इसे भंग कर इसकी जगह बड़ी समिति बनाने का सुझाव दिया है।

इस बीच, अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चूंकि आईएसी एक पंजीकृत संगठन नहीं है, इसलिए इसके नाम पर बैंक खाते नहीं खुल सकते। मौन व्रत पर चल रहे अन्ना हजारे के एक सहयोगी ने रालेगण सिद्धि में बताया कि वह गाजियाबाद में होने वाली आईएसी की कोर कमेटी की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे, क्योंकि उनका 'स्वास्थ्य' ठीक नहीं है। गुरुवार को अन्ना हजारे ने अपने ब्लॉग पर लिखा था, ''मेरा स्वास्थ्य अब भी मुझे मौन व्रत तोड़ने की अनुमति नहीं देता। मेरे पैर में अब भी सूजन है और घुटने मुझे परेशान कर रहे हैं।''


अन्ना हजारे के अतिरिक्त आईएसी की कोर कमेटी के दो अन्य महत्वपूर्ण सदस्यों- संतोष हेगड़े और मेधा पाटकर ने भी अलग-अलग कारणों से गाजियाबाद में होने वाली बैठक में शामिल नहीं होने की बात कही है। टेलीविजन चैनल से बातचीत में पाटकर ने कहा कि वह बैठक में हिस्सा नहीं लेंगी। लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी मुद्दों पर स्वतंत्र तथा निष्पक्ष ढंग से चर्चा होगी।

उधर बेंगलुरू में हेगड़े ने कहा कि मुम्बई में व्यक्तिगत व्यस्तताओं की वजह से वह बैठक में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अन्ना की वास्तविक ताकत आम लोग हैं, न कि कोर कमेटी के कुछ सदस्य। उन्होंने खुद को टीम अन्ना के साथ बताया, लेकिन केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और प्रभावी लोकपाल को लेकर। उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे के अतिरिक्त मैं किसी भी व्यक्ति के साथ नहीं हूं।

यह बैठक आईएसी के सदस्यों अरविंद केजरीवाल तथा किरण बेदी के खिलाफ लगे वित्तीय अनियमितता के आरोपों और प्रशांत भूषण द्वारा कश्मीर में जनमत संग्रह के समर्थन में दिए गए बयान तथा उसके बाद उनके खिलाफ हुए हमले पर चर्चा के लिए बुलाई गई है।

इस बीच, विश्वास ने अन्ना हजारे को पत्र लिखकर कोर कमेटी को भंग कर इसके स्थान पर नई समिति बनाने की सलाह दी है। उनके अनुसार, अधिकतर समय कोर कमेटी के खिलाफ लगने वाले आरोपों का जवाब देने में जाया हो रहा है। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मौजूदा कोर कमेटी को भंग कर दें और इसके स्थान पर नई समिति बनाएं।

वहीं, केजरीवाल ने अगस्त में जनलोकपाल विधेयक की मांग को लेकर रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के 12 दिन के अनशन के दौरान जनता से अनुदान के रूप में मिले 70-80 लाख रुपये अपने ट्रस्ट पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन के लिए लेने के आरोपों के जवाब में कहा कि आईएसी आंदोलन है, पंजीकृत संगठन नहीं और इसलिए इसके नाम पर बैंक खाता नहीं खुल सकता।
News Source : http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-story-39-39-198125.html
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टीम मेंबर्स की अपील, इस कोर कमिटी को भंग कर दें अन्ना

क्या टीम अन्ना में बिखराव शुरू हो गया है ? यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि टीम अन्ना की कोर कमिटी की बैठक से एक दिन पहले खुद इसके सदस्यों ने कमिटी भंग करने की मांग कर दी है। इन सदस्यों ने इस मांग को सार्वजनिक करते हुए इस पर बयानबाजी भी शुरू कर दी है।

जन लोकपाल आंदोलन की कोर कमिटी की मीटिंग से एक दिन पहले शुक्रवार को इसके दो अहम सदस्यों ने अन्ना हजारे से इसे भंग करने की अपील की। यह अपील मेधा पाटकर और कुमार विश्वास ने की है। कुमार विश्वास ने अन्ना हजारे को पत्र लिख कर यह मांग की। एक अन्य अहम सदस्य जस्टिस संतोष हेगड़े ने भी इस मांग का समर्थन किया है।

कुमार विश्वास की अन्ना को लिखी पूरी चिट्ठी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

टीम अन्ना की मेंबर मेधा पाटकर ने टीम अन्ना में बदलाव की जरूरत बताई है। मेधा पाटकर ने कहा कि टीम के कई सदस्यों पर आरोप लगे हैं , ऐसे में टीम में बदलाव किया जाना चाहिए। शनिवार को होने वाली टीम अन्ना की बैठक में भी मेधा पाटकर शामिल नहीं होंगी। इस मीटिंग में अन्ना समेत कई मेंबर शामिल नहीं होंगे।

मेधा पाटकर ने कहा , ‘ हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है लेकिन टीम में बदलाव जरूरी है क्योंकि टीम के कुछ सदस्यों पर कई आरोप लगे हैं और उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।

जन लोकपाल पर अन्ना के आंदोलन में सहयोगी रहे प्रफेसर कुमार विश्वास ने अन्ना हजारे को चिट्ठी लिखकर नई कोर कमिटी बनाने की अपील की है। मुशायरों में अक्सर रंग जमाने वाले कुमार विश्वास चाहते हैं कि अन्ना इस वक्त की कोर कमिटी को 121 करोड़ भारतीयों की हार्ड कोर कमिटी में तब्दील कर दें।

कुमार विश्वास के मुताबिक वह अन्ना से यह मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जन लोकपाल , राइट टु रिजेक्ट , राइट टु रिकॉल समेत व्यवस्था बदलने वाले कई आंदोलनों में एक नई कोर कमिटी और एक नई टीम अन्ना की जरूरत पड़ेगी।

कुमार विश्वास ने अपने लेटर की शुरुआत इस तरह से की है कि वह अन्ना के मौन व्रत की ऊर्जा भंग नहीं करना चाहते थे लेकिन बहुत मजबूर होकर वह यह काम कर रहे हैं।

2 पेज के लेटर में कुमार विश्वास ने पीएम मनमोहन सिंह और सरकार की भी आलोचना की है। कुमार विश्वास ने लिखा , ' रामलीला मैदान में उमड़ी जनता की शक्ति और विश्वभर में हुए उसके समर्थन ने केंद्र सरकार को मजबूर किया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत जन लोकपाल लाने की तरफ कदम बढ़ाए। लेकिन कुछ भ्रामक कदम उठाने के अलावा सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। एक ओर तो माननीय प्रधानमंत्री जी पत्र लिख कर आपको आश्वस्त करते हैं कि लोकपाल की दिशा में आवश्यक कार्रवाई होगी तो दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी के नेता आपकी और कोर कमिटी के एक-एक व्यक्ति की सार्वजनिक छवि और विश्वसनीयता को धूमिल करने में जी-जान से जुटे हैं। '
बाद में टीम अन्ना के एक और अहम सदस्य जस्टिस संतोष हेगड़े ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि कोर् टीम का दायरा बढ़ाने की मांग से वह भी सहमत हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि अन्ना की ताकत कोर टीम नहीं बल्कि देश के आम लोग हैं। उन्होंने कहा कि कोर टीम की मीटिंग में शामिल न हो पाने का यह मतलब नहीं है कि वह टीम में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक जन लोकपाल बिल लाने की मांग का और करप्शन के खिलाफ आंदोलन का सवाल है वह पूरी शिद्दत से टीम अन्ना में शामिल हैं। इसके अलावा किसी और बात से उन्हें मतलब नहीं है।
News source: http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/10517356.cms
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Medha, Hegde, Anna won't attend core committee meeting tomorrow

Amid deepening controversies over some of its most influential members, Team Anna's core committee meets tomorrow in Delhi. Anna, 74, will not attend; he has extended his "maun vrat" or vow of silence. Medha Patkar and Justice Santosh Hegde will also be absent.
There is much on the table for discussion - reports of deep dissent within the team, accusations of financial malpractices, and the group's agenda for the next few months. A member of the core committee, which has 26 representatives including Anna, has asked that the entire group be suspended and replaced with a larger team.
In a letter sent to Anna today, Kumar Vishwas has said that the Congress is trying to discredit members of the core committee. "Such attacks and the subsequent clarifications will strengthen the conspiracy to divert the attention from the key issues. I request you to give greater representation to the Core Committee consisting of limited members," he wrote

Mr Vishwas, a college lecturer and poet, said the personal attacks on Core Committee members by "corrupt forces" were proof that these people were trying to  "neutralise and hurt" those fighting graft.

Ms Patkar, one of the most-respected members of the committee, who will not be at tomorrow's session denied reports of deepening divides within the group. "I don't think there is a difference of opinion. The only thing is a bit of overhauling is certainly becoming necessary because there are a number of allegations and Core Committee members are being targeted," she said.
But Rajinder Singh, who quit the Core Committee earlier this month and is known for his work in water conservation, suggested that the reports of rifts are not exaggerated. He described Kiran Bedi and Arvind Kejriwal, prominent faces of Anna's movement, as "the most arrogant members in the habit of throwing their weight about and imposing themselves on others."
Since April this year, Anna and his group of civil society activists have turned into national icons because of their India Against Corruption campaign. Their agenda is to ensure that the government introduces a new anti-graft Lokpal Bill - named for the ombudsman agency or Lokpal that will have the power to investigate corruption among government servants.
The government says that Team Anna's vision of the Bill is unrealistic and gives the Lokpal sweeping powers. The activists believe that the government has no interest in creating an agency that is truly equipped to take on politicians and bureaucrats.
The clash between the two sides pushed Anna into two hunger strikes this year - both reverberated across the country, drawing lakhs to his sit-in protests in Delhi.
But lately, the activists have been drawing attention for other reasons. Activist-lawyer Prashant Bhushan was attacked this month at his Supreme Court chamber for stating that a referendum is needed in Kashmir to determine the state's political future.
Anna said his team does not subscribe to Mr Bhushan's views; whether he will remain part of Anna's inner circle is likely to be discussed tomorrow.
Another prominent Anna aide - former policewoman Kiran Bedi - has acknowledged that when she was invited to address seminars and conferences, she charged her hosts for business class tickets though she flew economy. Ms Bedi has said the difference remained with her NGO - and the savings helped to create more funds. But many have pointed out that generating false travel statements and bills cannot be passed off as a Robin Hood-esque gesture.
There's also an internal conflict over whether Team Anna is getting too political in its operations. A few weeks ago, two members of the core committee quit over the decision by Anna to target the Congress during the Hisar election. Ms Bedi and Anna's closest aide, Mr Kejriwal, campaigned vigorously, asking voters to spurn the Congress.
They said they wanted the public to make it clear that it is the Congress' responsibility - as the main party in power at the Centre - to deliver the Lokpal Bill. If it fails, Anna has warned, he will campaign personally against the Congress in the election for Uttar Pradesh.
That's when "waterman" Rajinder Singh and land rights activist P V Rajgopal quit the core committee, arguing that Anna and his activists should focus solely on the Lokpal Bill, and not engage in hurting or helping a political party.
"I was in Nairobi when Hazare decided to support a political candidate in Hisar and I immediately parted ways with Team Anna as I did not want to become part of a power brokering process," said Mr Singh.  
Mr Kejriwal has been accused of diverting donations worth Rs. 80 lakhs made to Anna's movement to a trust headed by him. He has said a thorough audit is being conducted, and details of how all donations were handled will soon be made public.
Mr Kejriwal has also been asked by the Income Tax department to pay nine lakh as a penalty for violating the terms of his employment as an Indian Revenue Service officer; he quit in 2006
News source : http://www.ndtv.com/article/india/medha-hegde-anna-wont-attend-core-committee-meeting-tomorrow-144746
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SEE LETTER WRITTEN BY - SH. KUMAR VISHWASH TO ANNAJI -
अन्ना हजारे को कुमार विश्वास का पत्र- कोर कमेटी भंग करें
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श्रीमान अन्ना हजारे, रालेगन सिद्धि, महाराष्ट्र, आदरणीय अन्ना जी, प्रणाम, आशा है आप स्वस्थ एवं सानंद होंगे. पिछले कुछ दिनों से एक विशेष मुद्दे पर आप से बात करने का मन था. यद्यपि मैं नहीं चाहता था कि आपके पवित्र मौन की ऊर्जा इस षड्यंत्रकारी कोलाहल की सूचना से भंग करूँ, तथापि मैं विवश हो कर यह पत्र आपको लिख रहा हूँ.
व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब आपने बिगुल बजाया, तो कोटि-कोटि उद्वेलित और चेतना-संपन्न भारतीय आपके सात्विक नेतृत्व में बढ़ चले. स्वाधीनता के बाद देश को पहली बार ऐसा लग रहा है कि स्वराज और जनतंत्र की मूल अवधारणा, विचार और क्रिया के स्तर पर एक होने वाली है. रामलीला मैदान पर आपके साहसिक अनशन ने पूरे देश में एक ऐसी सकारात्मक ऊर्जा का समावेश किया है, जिसे रोक पाना भ्रष्ट ताक़तों के बस में नहीं है. एक बड़े सरोकार को पाने की दिशा में बढ़ते भारत के इस अहिंसक और शक्तिशाली आवेग को देख कर पूरा विश्व आपके नेतृत्व को श्रद्धा से प्रणाम कर रहा है.

रामलीला मैदान में उमड़ी जनता की शक्ति ने तथा विश्व भर में हुए उसके समर्थन ने केंद्र सरकार को मजबूर किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मज़बूत जन-लोकपाल लाने की तरफ कदम बढ़ाए. लेकिन कुछ भ्रामक कदम उठाने के अलावा सरकार ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्यवाई नहीं की. एक ओर तो माननीय प्रधानमंत्री जी पत्र लिख कर आपको आश्वस्त करते हैं कि लोकपाल की दिशा में आवश्यक कार्यवाई होगी, तो दूसरी ओर सत्ताधारी पार्टी के नेतागण आपकी और कोर कमिटी के एक-एक व्यक्ति की सार्वजनिक छवि एवं विश्वसनीयता को धूमिल करने में जी-जान से जुटे हैं.

दरअसल इस संघर्ष में विराट जन-शक्ति के अलावा तीन महत्वपूर्ण भाग और हैं, जिन में आप के नेतृत्व, आप के सन्देश के अतरिक्त एक संगठनात्मक  ढांचा भी प्रमुख तत्व है .

आन्दोलन का नेतृत्व आपके हाथो में है जिस के प्रति पूरे देश को अखंड और अटूट विश्वास है. यही कारण है कि आप को लक्ष्य करना भ्रष्टाचारियों के बस में अब नहीं है .पहले जब कुछ राजनैतिक चेहरों द्वारा आपके ऊपर मौखिक रूप से हमला करने की जो कोशिश की गयी, तब उसे जनता ने एक सिरे से ख़ारिज कर दिया था. अत: यह भ्रष्ट, कुचक्री और षड्यंत्रकारी ताक़क्तें समझ गयी हैं की आप पर हमला करने से जन-लोकपाल के बढ़ते क़दमों को रोकना संभव नहीं.

आन्दोलन का सन्देश भी आप की ही तरह सरल और स्पष्ट है- "भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सार्थक संवैधानिक लड़ाई". संपूर्ण देश को इस पवित्र आन्दोलन के सन्देश (उद्देश्य) पर भी रंच मात्र संदेह नहीं है. पूरा देश भ्रष्टाचार से व्यथित हैं. इसलिए वाह आपकी एक आवाज़ पर चल पड़ने के लिए तत्पर है.

इस आन्दोलन की तीसरी महत्त्वपूर्ण कड़ी हैं वे कुछ लोग, जो आपके सहायक के रूप में इस आन्दोलन के लिए अहर्निश कार्यरत हैं. इन सब सामान्य पारिवारिक भारतीय नागरिकों की व्यथा भी अपने करोड़ों भारतीय भाई-बहिनों की तरह भ्रष्टाचार से उपजी अराजकता ही है. इन सब लोगो के समूह, जिसे सामान्य लोग 'कोर-कमिटी' और मीडिया के मित्र 'टीम-अन्ना' कहते हैं, पर भ्रष्ट ताक़तों की ओर से एक-एक कर किए गए व्यक्तिगत हमले इस बात का प्रमाण हैं, कि ये ताक़ते इस बड़े संघर्ष में सक्रिय लोगों को झूठे, तात्कालिक, बे-बुनियाद और छोटे आरोपों कि आड़ में आहत, तटस्थ या निष्क्रिय करना चाहती हैं. इन सब भ्रष्टाचारियों का मुख्य उद्देश्य इस जन-आन्दोलन को कमज़ोर करना और जन-लोकपाल की बजाए संगठन को ज्यादा बड़ा मुद्दा बना कर भ्रामक तथ्यों के आधार पर आन्दोलन को दिशा-भ्रमित करना है. ये वही लोग हैं जो सार्वजनिक रूप से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों या समूहों को धमकी देते हैं कि उन का भी वही हाल किया जायेगा जो ऐसी आवाज़ उठाने वाले अन्य लोगों का पूर्व में किया जा चुका है. यद्यपि हम ऐसे लोगों या ताकतों को अपने विचार या मन में कुछ भी स्थान नहीं देते किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इन सब हमलों और उन की सफाई देने से मूल मुद्दे से धयान हटाने का इन का षड़यंत्र बलशाली होगा. ऐसा होने पर न केवल जन-लोकपाल का मुद्दा प्रभावित होगा, अपितु करोडो भारतवासियों के उस विश्वास को भी आघात पहुंचेगा, जिसमे वो संवैधानिक, अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से देश की समस्याओं का हल ढूंढते हैं.

ऐसी स्थितयों में बड़ी सहजता, आदर और आपके अद्वितीय नेतृत्व में संपूर्ण विश्वास के साथ मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ, कि आप सीमित लोगों की इस कोर कमिटी को विस्तार दे कर इसे १२१ करोड़ लोगों की 'हार्ड-कोर कमिटी' में रूपांतरित कर दें. जैसा कि आप भी कहते हैं, कि ये लड़ाई व्यक्ति या सत्ता परिवर्तन की नहीं, बल्कि व्यवस्था-परिवर्तन की लड़ाई है. जन-लोकपाल के साथ-साथ और बाद में 'राईट तो रिजेक्ट', 'राईट तो रिकाल' तथा अन्य महत्त्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तक आन्दोलन जो हमें देश की जनता के साथ मिलकर लड़ने हैं, उनमें आपको हर मोर्चे पर एक नयी 'कोर-कमिटी' और एक नयी 'टीम अन्ना' की ज़रुरत पड़ेगी, जो आप की एक आवाज़ पर चल पड़ने के लिए उत्सुक, प्रतिबद्ध एवं प्रस्तुत हैं. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं पुन: आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस वर्तमान कोर कमिटी को स्थगित कर एक नयी व्यवस्था का सृजन करें, जिस से भ्रष्टाचार-मुक्त नव-भारत का हम सब का सपना साकार हो सके.
सादर
डा. कुमार विश्वास
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Source : http://bhadas4media.com/index.php/vividh/150-2011-10-28-13-47-39
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Some comments collected from Internet made by public
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लगता है कोगरेश की राजनीति क महा घाघ लोगा अन्ना की टीम क उपर हावी हो गये है |उन्होने अपनी धूरता से अन्ना की टीम क बीच मत भेद पेदा कर उन क बीच मे अविशवास का माहोल वना दिया है | ये अन्ना क बुधि जीवी भी वेवकूफ लोगो जैसा आचरण कर रहे लगता इनका विवेक काम नही कर रहा है \ ये उस कहानी को शायद भूल गये जिसमे एक व्यति मे अपने बेवकूफ़ बच्चो को समझाने �क लिए लकड़ी मागाई और उनको एक -एक कर तोड़ने क लिए कहा उन्होने एक एक कर लकड़ी तोड़ ड �डाली उस बुढे ने उनको लकड़ी को एक साथ बाँध कर तोड़ ने को कहा लेकिन इस बार वे सब इल कर उन लकड़ी क गतर को तोड़ नही पाए इस पर उस व्यक्ति ने उन्हे समझाया की अगर तू अलग -अलग रहोगे तो तुम्हे लकड़ी की तरह तोड़ डालेगे और अगर इनकी �तरह एक साथ रहोगे तो तुम्हे कोई भी नही तोड़ पाएगा और तुम दुनिया मे सफल होगे |अन्ना की तीम को चाहिये की वह इस बात को समझे और वेवकूफी छोड़ कर पुन एक साथ मिलकर चले | अपने लक्ष्य को हासिल करे हमारी शुभ कामना आपके साथ है
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मुझे एसा लगता है की सरकार अपने योजना मे सफल हो रही है टीम अन्ना को तोड़ने कि....................ंमुझे दर है कही जो दिया अन्ना  ने जलाया है वो बुझ ना जाए
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Anna's team should think who is important? Whether a MAN or COUNTRY. Give up Ego and march towards your goal that benefits the country
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Anna need to take permission from Nagpur RSS ,to fill the new members of core commitie.He will take what ever comes from it
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I guess we can soon understand if the core committee is really committed to the cause and will willing hand over the reigns to other equally capable members
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If any of the core committee member express his own views on the performance of a particular member,it cannot be treated as a difference of opinion ,rather it is a mark of FREEDOM OF EXPRESSION.How many Ministers in the UPA has the gut to express his own views on any serious issue without getting prior permission from the BIG BOSS.There the Boss is always right.
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Wednesday, October 26, 2011

News on Anna Hazareji and Team Anna Movement

केजरीवाल का पलटवार-गलत हैं तो फांसी दे दो, पर मजबूत लोकपाल लाओ ( Kejriwal's counterattack - If we are wrong then executed us, But bring Strong Ombudsman/JanLokpal)

भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत कानून की मांग कर रहे टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने आज केंद्र सरकार पर जबर्दस्त हमला बोलते हुए कहा कि अगर हमने कुछ गलत किया है तो हमें आम आदमी से दोगुनी सज़ा दी जाए, लेकिन सरकार को लोकपाल कानून लाया जाए और लोकपाल आपको लाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर हमने कुछ गलत किया है तो हमें लटका (फांसी) दो। केजरीवाल के मुताबिक, 'किरण बेदी ने अपराध किया है तो आप उन्हें फांसी दीजिए। जांच कीजिए और सख्त से सख्त सजा दीजिए।'

अरविंद ने टीम अन्ना के सदस्यों के खिलाफ सामने आ रहीं बातों पर कहा, 'हम लोग सिर्फ अन्ना हजारे को सपोर्ट करने के लिए हैं। सारा ध्यान भ्रष्टाचार से हटाकर कोर कमेटी के लोगों पर कर दिया गया है। टीम अन्ना कुछ नहीं है, जो कुछ हैं वह अन्ना हजारे हैं। ये सरकार की जो चालें हैं, सरकार ये समझ ले कि इससे पहले भी उसे नुकसान हो चुका है और हम पर लगाए गए हर आरोप से सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा और ज्यादा बढ़ेगा। सरकार ने लोगों को हमेशा बरगलाने की कोशिश की। अगली बार जब आंदोलन होगा तो अगस्त से दस गुना बड़ा आंदोलन होगा।'
केजरीवाल ने कहा, 'क्या लोकपाल कानून की मांग करने से पहले एक सौ बीस करोड़ लोगों में जो सबसे ज्यादा साधु संत लोग हैं,  वे ही यूपीए के भ्रष्टाचार के बारे में बात करें? क्या किरण बेदी का मुद्दा आम लोगों का मुद्दा है? क्या इससे देश का भला होगा?'
मीडिया से मुखातिब अरविंद केजरीवाल ने एक सवाल के जवाब में स्वामी अग्निवेश के तमाम आरोपों को बेबुनियाद करार देते हुए कहा कि आंदोलन में पूरी पारदर्शिता बरती जा रही ही।
News source : http://www.bhaskar.com/article/NAT-kejriwal-attacks-government-2524295.html
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News on Anna Hazareji and Team Anna Movement

News on Anna Hazareji and Team Anna Movement, Government of India

किरन के एनजीओ के ट्रस्टी और ट्रैवल एजेंट ने छोड़ा साथ


विवादों में घिरी टीम अन्ना की मेंबर किरन बेदी का साथ उनके ट्रैवल एजेंट ने छोड़ दिया है। उनके गैर सरकारी संगठन ( एनजीओ ) इंडिया विजन फाउंडेशन के एक संस्थापक सदस्य अनिल बल ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि किरन बेदी के यात्रा विवाद से उनकी इज्जत पर धब्बा लगा है। अनिल ही किरन बेदी की यात्राओं का बंदोबस्त देखते थे।

फ्लाइवेल ट्रैवल्स के मालिक अनिल ने कहा कि किरन बेदी ने अपने कार्यक्रमों के आयोजकों से ज्यादा पैसा वसूलने के आरोप के बचाव में जो तर्क दिए हैं , उनसे यह गलत धारणा बनी है कि इकॉनमी क्लास के टिकट पर यात्रा करके बिजनेस क्लास का किराया वसूलने के विवाद के पीछे मैं ही जिम्मेदार हूं। उन्होंने एक बयान जारी करके कहा कि इस मामले में जो हुआ , उससे मेरी इमेज खराब हुई। इसलिए मैंने आईवीएफ के ट्रस्टी पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने ट्रस्ट से कोई दूसरा ट्रेवल एजेंट नियुक्त करने की गुजारिश की है।
नहीं पता था बेदी की यात्रा का सच :संस्थाएं
पिछले 2 सालों में किरन बेदी की यात्रा का खर्च देने वाले कुछ एनजीओ और संस्थाओं के मुताबिक उन्हें बताया गया था कि किरन बेदी केवल बिजनेस क्लास में सफर करती हैं। इन संस्थाओं को यह जानकारी नहीं थी कि किरन बेदी इकॉनमी क्लास में सफर कर रही हैं और इन्होंने पेश किए गए बिल का पूरा भुगतान किया। इससे पहले किरन बेदी पर जब टिकट से ज्यादा पैसे वसूलने का आरोप लगा था तो किरन बेदी ने कहा था कि उन्होंने पहले ही इस बाबत संस्थाओं को बता दिया है।
मुंबई के श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ की एडमिनेस्ट्रेटर आइरीन अलमेदा ने कहा, हमें बताया गया था कि किरन बेदी केवल बिजनेस क्लास में सफर करती हैं। इस संस्था ने किरन बेदी को 6 अगस्त 2009 को एक कार्यक्रम में बुलाया था। किरन बेदी ने ज्यादा वसूली गई रकम वापस करने की बात कही है। इस पर आइरीन ने कहा, उनकी तरफ से अभी तक किसी ने भी रकम लौटाने के लिए हमसे संपर्क नहीं किया है।
News Source : http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/10490810.cms
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किरन बेदी को फिर झटका, उनकी संस्था के संस्थापक सदस्य ने छो़डा साथ

विवादों में घिरी टीमं अन्ना की अहम सदस्य किरन बेदी को बुधवार को एक और करार झटका लगा जब उनके गैर सरकारी संगठन इंडिया विजन फाउंडेशन के एक संस्थापक सदस्य अनिल बल ने उनका साथ छो़ड दिया। अनिल ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि किरन बेदी केयात्रा विवाद से उनकी इ”ात पर धब्बा लगा है।
अनिल ही किरन बेदी की यात्राओं का बंदोबस्त करते थे। फ्लाइवेल ट्रैवल्स के मालिक अनिल ने कहा कि किरन बेदी ने अपने कार्यक्रमों के आयोजनकों से ज्यादा पैसा वसूलने के आरोप के बचाव में जो तर्क दिए हैं, उनसे यह गलत धारणा बनी है कि इकॉनमी क्लास के लिए टिकट पर यात्रा करके बिजनेस क्लास का किराया वसूलने के विवाद के पीछे में ही जिम्मेदार हूं। उन्होंने एक बयान जारी करके कहा कि इस मामले में जो हुआ, उससे मेरी छवि खराब हुई है इसलिए मैंने आईवीएफ के ट्र्स्टी पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है। उन्होंने ट्र्स्ट से कोई दूसरा ट्रैवल एजेंट नियुक्त करने का आग्रह किया है।
गौरतलब है कि किरन बेदी पर अपने वीरता पदक के आधार पर हवाई यात्रा में छूट का फायदा उठाकर आयोजकों से बढ़ा-चढ़ाकर पैसा लेने का आरोप लगा है। विवाद बढ़ने पर बेदी ने किराए से अधिक ली गई राशि लौटाने की पेशकश करते हुए कहा है कि अनिल ट्रैवल अकाउंट मैनेज कर रहे थे, उनसे अधिक राशि लौटाने को कहा गया है। अनिल ने कहा कि मीडिया में आई कुछ खबरों में मुझे फाउंडेशन का ट्रेजरर तक बता दिया गया। कुछ चैनलों ने बिल दिखाते हुए दावा किया कि मेरी कंपनी ने जान-बूझकर ज्यादा रकम वाले बिल पेश किए थे। इससे उनकी इमेज खराब हुई है। अनिल 25 सालों से किनर बेदी के संपर्क में हैं और विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं में उनके साथ जु़डे रहे हैं। दूसरी तरफ पिछले दो सालों में किरन बेदी की यात्रा का खर्च देने वाले कुछ एनजीओ और संस्थाओं का कहना है कि उन्हें बताया गया था कि किरन बेदी केवल बिजनेस क्लास में ही सफर करती हैं। उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि बेदी इकॉनमी क्लास में सफर कर रही है और बिजनेस क्लास बिल पेशकर पूरा भुगतान उठा लिया। इससे पहले किरन बेदी पर जब टिकट से ज्यादा पैसे वसूलने का आरोप लगा था, तो उन्होंने कहा था कि उन्होंने पहले ही इस बाबत संस्थाओं को बता दिया है।
News Source : http://www.khaskhabar.com/one-more-shock-to-kiran-founder-member-quit-ngo-102011266475014008.html
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किरण के बचाव में आए अन्‍ना, कहा- साथियों का चरित्र हरण कर रही सरकार

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी टीम अन्ना की प्रमुख सदस्य किरण बेदी अब आयोजकों से वसूला गया अधिक पैसा लौटाने का मन बना रही हैं। पूरे प्रकरण को निपटाने के लिए किरण बेदी अब आयोजकों से वसूला गया अधिक किराया लौटा देंगी।

इसी बीच अन्ना हजारे ने पलटवार करते हुए सोमवार को एक और ब्लॉग में किरण बेदी और अपनी टीम का बचाव किया है।  इस ब्लॉग में अन्ना ने कहा किरण बेदी पर हवाई यात्रा में भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। किरण कई बार यह सपष्ट कर चुकी हैं कि यदि उन्होंने इस धन से अपना या अपने परिवार का भला किया हो तो सरकार अपनी किसी भी जांच एजेंसी से उनकी जांच करा सकती है और दोषी सिद्ध होने पर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई कर सकती है।
लेकिन ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार ये करेगी। आरोप लगाना और बेईज्जती करना कुछ लोगों का मूल मंत्र बन चुका है। यह पहली बार नहीं है जब किरण बेदी के खिलाफ इस तरह के आरोप लगे हो। गैंग ऑफ फॉर (चार लोगों का गैंग) टीम अन्ना के प्रत्येक सदस्य के चरित्र का हरण कर रहा है। लेकिन ये चार लोग कौन है। ये वहीं हैं जो जनलोकपाल के पक्ष में नहीं है।

गौरतलब है कि किरण बेदी इंडिया विजन फाउंडेशन नाम से एनजीओ चलाती हैं और देश विदेश में कई तरह के समारोह में शामिल होती हैं। बेदी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी बिल लगाकर आयोजकों से गोष्ठियों में शामिल होने के लिए अधिक किराया वसूला।

अब तक अधिक पैसे लेने को जायज ठहराने वाली बेदी ने सोमवार को ट्वीट कर बताया कि एनजीओ के ट्रस्टियों ने उन्‍हें आयोज‍कों के निमंत्रण पत्र में उल्‍लेख किए गए क्‍लास में ही विमान यात्रा करने के लिए कहा है और अब तक कमतर दर्जे में यात्रा कर बचाए गए पैसे लौटाने के भी निर्देश दिए हैं। इस ट्वीट के जवाब में कुछ लोगों ने लिखा कि यह तो एक तरह से गलती मानने जैसा है।

बेदी ने कहा, ‘फाउंडेशन के ट्रस्‍टियों ने एक प्रस्‍ताव पारित कर मुझे निमंत्रण के मुताबिक सफर करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में मेरे पास मनमानी का कोई विकल्‍प नहीं बच पता है। ट्रस्टियों ने ट्रैवल एजेंट को किराए से बची रकम आयोजकों को लौटा देने के भी निर्देश दिए हैं।’

बेदी के एनजीओ में प्रहलाद कक्‍कड़, लवलीन थडानी, आचल पॉल, प्रदीप हलवासिया, अमरजीत सिंह और सुनील नंदा जैसे लोग हैं। लेकिन किरण बेदी की इस पेशकश पर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि अगर भ्रष्ट लोग अपने पैसे लौटाने लगें तो उन्हें भी माफ कर दिया जाना चाहिए। तो ए. राजा जेल में क्यों हैं? राजा भी पैसे लौटा दें और जेल से बाहर आ जाएं।
आर्थिक अपराधों व आयकर से जुड़े नियम-कानून के जानकार, पूर्व आयकर आयुक्‍त विश्‍व बंधु गुप्‍ता ने कहा है कि इस बात के पुख्‍ता संकेत हैं कि केजरीवाल इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन (आईएसी) के नाम पर हेराफेरी कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि इस बारे में कुछ दस्‍तावेज भी उनके हाथ लगे हैं, जिन्‍हें वह शीघ्र ही सार्वजनिक करेंगे।

गुप्‍ता के मुताबिक आईएसी का कोई कानूनी वजूद नहीं है। dainikbhaskar.com से बातचीत में गुप्‍ता ने बताया कि आईएसी की वेबसाइट ( इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन.ओआरजी) का डोमेन अरविंद केजरीवाल ने 17 नवंबर, 2010 को रजिस्‍टर्ड कराया है। रजिस्‍ट्रेशन के लिए उन्‍होंने 'बी 5, सफदरजंग एनक्‍लेव' का पता और 9999512347 फोन दिया है। पर वेबसाइट पर कहीं भी, किसी भी रूप में पीसीआरएफ (पब्लिक काउज रिसर्च फाउंडेशन), जो केजरीवाल का एनजीओ है, का जिक्र नहीं है। लेकिन आईएसी के नाम पर दान में जुटाई गई रकम पीसीआरएफ के खाते में डाली गई है।


गुप्‍ता का यह भी दावा है कि रामलीला मैदान में अन्‍ना के अनशन के दौरान मिली दान की रकम का पूरा ब्‍यौरा वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं किया गया है। इन आरोपों पर केजरीवाल का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन फोन कॉल रिसीव नहीं किया गया।



गुप्‍ता ने ट्विटर पर लिखा है, ‘इंडिया अगेंस्‍ट करप्‍शन (आईएसी) में वित्‍तीय गड़बड़ी का सच सामने आने से पहले ही अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और किरण बेदी को टीम अन्‍ना छोड़ देना चाहिए। इस हेराफेरी में केजरीवाल और सिसौदिया सहित तीन लोग शामिल हैं। तीसरे शख्‍स का नाम आईएसी की वेबसाइट पर अन्‍ना हजारे की कोर टीम में नहीं दिखाया गया है।’ 

पूर्व नौकरशाह ने आगे लिखा है, ‘केजरीवाल और सिसौदिया भोले-भाले लोगों को मूर्ख बना सकते हैं लेकिन हम जैसे लोगों को नहीं, जो आर्थिक अपराध साबित करने में पारंगत हैं। मेरे पास 20 दस्‍तावेज हैं और मैं इन्‍हें सार्वजनिक कर सकता हूं कि किस तरह हेराफेरी हुई है। मैं दस्‍तावेजों के बिना नहीं बोलता हूं।’   
News Source : http://www.bhaskar.com/article/NAT-fresh-allegations-against-team-anna-2522047.html?HT1a=?HT1=
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Sunday, October 23, 2011

Anna Hazare (Know More About Him)

Anna Hazare (Know More About Him)

Anna Hazare had to struggle for 11 years continuously against government for giving rights to citizens by making legislations for Right to Information, More Rights for the Gram Sabha, Regulating Transfers of the Government Officers, Prohibition and against Red Tapism.
  • After the ShivSena – BJP government came in power on March 11, 1995; Anna Hazare started communicating with the government for taking steps to curb corruption. He wrote to the government 15 times and had meetings with it.
  • He sent a letter to the government on January 12, 1998 asking it to make an act for Right to Information for checking corruption.
  • As government was not paying any heed to his demand even after writing many letters and discussions, he started dharna on April 6, 1995 at the Azad Maidan, Mumbai.
  • He again wrote to the government 10 times between April 6, 1998 and August 2, 1999 asking it to make the Act for Right to Information. In the mean time, Congress – NCP government came in power.
  • He communicated with the newly formed government 5 times pressing it to make the Act. As it failed to do this, he wrote to the govt. on April 6, 2000 warning it that a statewide dharna agitation in front of Collector Offices would be started from 1st may and he would go on fast from 20th May, 2000.


  • As per schedule, the dharna agitation started in front of all Collector Offices all over the state on 2nd May. The fast was postponed as the Central Government passed a bill in Lok Sabha on Information Technology.







  • Continued communication with the govt. Wrote 14 times and had meetings with the govt. One year lapsed.







  • On 1st March 2001, wrote to the govt. that he would start statewide maun andolan from 1st May if the govt. did not make the legislation. The Chief Minister held a meeting with other concerned ministers and Secretaries and made a promise that the govt. will pass the bill in the coming session.







  • After the promise from the Chief Minister, 81 days lapsed. Anna’s correspondence with the govt. was continued. He wrote again on 1st March 2001 telling that he would undertake maun on 9th August 2001 at his native village Ralegan Siddhi.







  • As per his warning, he started maun agitation on 9th August. On the same day, people started agitation all over Maharashtra.







  • After 4 days of maun, the Minister of Law and Justice Mr. Vilas Kaka Undalkar visited Ralegan Siddhi to discuss with Anna Hazare. He facilitated a telephonic discussion with the Chief Minister and the Chief Secretary of Maharashtra. After promise from them, Anna stopped his maun.







  • After the lapse of 1 year and a month and writing more than 15 letters, the govt. was not taking any action. So Anna started maun again on 21st Sept. 2002. After 5 days, four Ministers of the maharashtra Govt., viz. Mr. Dilip Valse Patil, Shivajirao Kardile, Shivajirao Moghe and R. R. Patil came to Ralegan Siddhi for discussions with Anna Hazare. After getting a written assurance from the Chief Minister and Chief secretary, Anna stopped his agitation.







  • A meeting between Anna Hazare and the govt. was held on 30th October 2002 at Mumbai where the Chief Minister, the Chief secretary, other ministers and senior officers participated in the meeting on behalf of the govt. Again a promise was made.







  • But as the govt. was not kepi ng its promise, Anna again warned on 21st January that he would undertake agitation on 20th February at Mumbai.







  • In the mean time, the Chief minister of Maharashtra got changed. The new CM Mr. Sushilkumar Shinde informed Anna Hazare that a solution would be found within a timeframe after a meeting with Ministers and Senior Officers. So Anna postponed his agitation.







  • A high level meeting was held at the Secretariat in Mumbai on 17th February and the CM promised that appropriate action would be taken.







  • After the failure of the govt. to keep its words, Anna again warned the govt. of agitation from August 9, 2003 at Mumbai.







  • Anna finally went on fast on 9th August 2003 at the Azad Maidan in Mumbai. Thousands of people from all over Maharashtra gathered at the site of fast in support of his agitation. At the same time, people also protested at Collector Offices at all district headquarters. All this mounted tremendous pressure on the govt. There was a threat of govt. collapse if the Act was not passed. Finaly, the President of India signed the Bill on 12th day of Anna’s fast and declared that the Act would be effective from 2002. Anna ended his fast at the hands of a noted Social Worker Mr. Tukaramdada Gitacharya.







  • The Right to Information Act came into effect in Maharashtra from 2002. With Anna’s persuasion, the same Act came into effect for the whole nation.







  • Likewise, the Acts for more rights to the Gram Sabha and against Red Tapism were passed by the government






  • Source : Various Blogs / Forums/ Articles about Anna Hazareji
    Note : If any of you know better information with proof, then put in comment box. we will update it accordingly.

    टीम अन्ना पर चला है अब तक सबसे नुकीला तीर

    टीम अन्ना पर चला है अब तक सबसे नुकीला तीर


    भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन के खत्म होने के बाद विवादों का जो सिलसिला शुरू हुआ है वो अब अपने चरम पर पहुंच गया है.
    टीम अन्ना के सदस्य रहे स्वामी अग्निवेश का दावा है कि अन्ना के आंदोलन और इंडियन अगेंस्ट करप्शन के नाम जो चंदा मिल रहा था वो अरविंद केजरीवाल के एनजीओ पब्लिक कॉज़ रिसर्च फाउंडेशन के अकाउंट में जमा किया गया.
    इस संस्था में अन्ना हजारे की कोई हैसियत नहीं है. कांग्रेस ने इस खुलासे के बाद जांच की मांग कर दी है.
    स्वामी अग्निवेश ने जो दावे किए हैं उसको न तो गलत ठहरा पा रही है टीम अन्ना, न झुठला पाई है टीम अन्ना. स्वामी अग्निवेश ने जो दावे किए हैं उसके बारे में कभी टीम अन्ना ने खुलासा नहीं किया था.
    स्वामी अग्निवेश ने दावा किया है कि अन्ना हजारे के अनशन के दौरान इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने जो चंदे जमा किए थे, वो न तो अन्ना हजारे के खाते में जमा हुए, न इंडिया अगेंस्ट करप्शन के खाते में. 80 लाख के चंदे की रकम पीसीआरएफ नामक एनजीओ के खाते में जमा हुई.
    पीसीआरएफ एनजीओ मुख्य रुप से अरविंद केजरीवाल ने 2006 में शुरू किया था. मनीष सिसोदिया और अभिनंदन सेखरी इसके ट्रस्टी हैं
    अन्ना हजारे पीसीआरएफ  में कुछ भी नहीं हैं. न संस्थापक, न सदस्य, न ट्रस्टी. फिर भी अन्ना के आंदोलन के नाम पर जमा हुई रकम पीसीआरएफ  के अकांउट में जमा हुई.
    अग्निवेश का दावा
    अग्निवेश का दावा है कि अन्ना हजारे ने भी इस पर एतराज जताया था. फिर भी पैसे पीसीआरएफ  के अकाउंट में ही जमा होते रहे.
    स्वामी अग्निवेश ये तो नहीं कर रहे हैं कि आंदोलन का मिला किसी ने हड़प लिया लेकिन उन्होंने टीम अन्ना में पारदर्शिता को लेकर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं.
    स्वामी अग्निवेश के इतने गंभीर आरोपों पर जवाब देने के लिए न तो अन्ना हजारे सामने आए. न अरविंद केजरीवाल बोले. न किरन बेदी या प्रशांत भूषण-शांति भूषण ने कुछ कहा. मीडिया को जवाब देने का जिम्मा संभाला टीम अन्ना की तीसरी पंक्ति के मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास ने. दावा किया कि लोगों को जानकारी थी कि चंदा पीसीआरएफ के अकाउंट में जमा किया जा रहा है.
    टीम अन्ना की विश्वसनीयता पर टीम के ही पूर्व सदस्य ने सवाल उठाए तो कांग्रेस को भी बोलने का मौका मिल गया. कांग्रेस ने मांग कर दी है कि सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए.
    कांग्रेस सत्यब्रत चतुर्वेदी का कहना है कि जिस तरह से आरोप लगाए गए हैं उससे संदेह होता है और मामले की जांच होनी चाहिए.
    बीजेपी ने बिना किसी जांच के टीम अन्ना को क्लीनचिट दे दी. बीजेपी ने तो अग्निवेश पर ही सवाल उठा दिए.
    बीजेपी के नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि अग्निवेश कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं.
    सवाल ये है कि क्या इतने बड़े आरोप के बाद भी अन्ना हजारे मौन रहेंगे? क्या केजरीवाल देश को जवाब देंगे कि अन्ना के आंदोलन के नाम पर जमा हुआ पैसे ऐसे किसी ट्रस्ट में कैसे जमा हुआ जिसमें अन्ना हजारे की कोई हैसियत नहीं हैं

    News Source : http://star.newsbullet.in/india/34-more/17343-2011-10-23-13-56-38
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    Tuesday, October 11, 2011

    Breaking News : PM Manmohan Singh ji wrote letter to Anna Hazare ji

    Breaking News : PM Manmohan Singh ji wrote letter to Anna Hazare ji for his support to Jan Lokpal Bill and Right To Reject Candidate ( To Improve electoral system)
    एक तरफ तो दिग्विजय सिंह जी कहते हैं की - अन्ना जी के साथ मुझे भी मानसिक अस्पताल ले चलो
    पर दूसरी तरफ कहते हैं - कि अन्ना जी बहुत अच्छे हैं पर टीम अन्ना खराब है और वे गलत लोगों से घिरे हुए हैं |
    एक तरफ कोंग्रेस के कुछ लोग - कुछ कहते हैं तो कुछ नेता कुछ और कहते हैं
    अभी हल ही में प्रधानमंत्री जी कहा कि में अन्ना जी का समर्थन करता हूँ और एक मजबूत लोक पाल बिल लाने के लिए हम तयार हैं |
    राईट टू रिजेक्ट ( इलेक्सन व्यवस्था में सुधार लाने के लिए )  का सुझाव भी अच्छा है और इसके लिए अन्य दलों से बात करते हुए,  इसको इम्प्लीमेंट करने का प्रयास किया जायेगा
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    प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गांधीवादी अन्ना हज़ारे से वादा किया है कि उनकी सरकार एक सशक्त लोकपाल कानून बनाने के लिये प्रतिबद्ध है और निकट भविष्य में ऐसा कर लिया जायेगा.
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    मनमोहन सिंह ने हज़ारे के 21 सितंबर के पत्र के जवाब में उन्हें खत भेजकर कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, हम एक सशक्त लोकपाल कानून बनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं और हमें उम्मीद हैं कि निकट भविष्य में हम इसमें सफल हो जायेंगे.’
    प्रधानमंत्री ने जनलोकपाल के लिये आंदोलन चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता से कहा कि इसके अलावा सरकार भ्रष्टाचार से लड़ने और शासन में सुधार लाने के लिये एक व्यापक एजेंडे पर भी काम कर रही है.
    मनमोहन सिंह ने हज़ारे को बताया कि इसमें कई कानूनी, कार्यकारी और तकनीकी पहल को शामिल किया जायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘लोकपाल की स्थापना इस व्यापक एजेंडे का ही एक हिस्सा है.
    ग्राम सभाओं को सशक्त बनाने के हज़ारे के सुझाव पर सिंह ने अपने जवाबी खत में कहा, ‘इस बारे में मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं. हम संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों के कार्यान्वयन को आगे ले जाने के लिये प्रतिबद्ध हैं. हमारा लगातार यही प्रयास है कि हम ग्राम सभाओं को सही मायने में अधिकार संपन्न बनाने के सपने को पूरा करने के लिये राज्यों के साथ मिलकर काम करें.’
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    See news letter -

    Dear Mr Anna Hazare,

    Thank you for your letter dated September 21, 2011. I am glad you made me aware of your thoughts on several important issues.
    As you know, we are committed to an effective Lokpal law and we hope to succeed in it in near future. Our government is also working on a comprehensive agenda to eradicate corruption and improve the governance. Several legal, executive and technical aspects would be included in it. The establishment of Lokpal is a part of this comprehensive agenda itself.
    Our government is also considering several recommendations concerning electoral reforms. Among the recommendations that are being considered, you have talked about the Right to Recall. In a democratic society, getting political consensus on some issues is a must. We want to discuss several recommendations concerning electoral reforms with other political parties and act on the ones that are broadly agreed upon.
    I completely agree with you on the issue of empowering the Gram Sabha. We are committed to implement the 73rd and 74th amendment of the constitution. We are constantly striving to work along with state governments to fulfill the dream of empowering the Gram Sabhas in the real sense.
    I thank you again for your suggestions.

    With good wishes,
    Yours,
    Manmohan Singh
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    News source : http://ibnlive.in.com/news/full-text-pms-letter-to-anna-hazare/192145-53.html

    Anna's image being milked by people around him: Digvijay Singh


    NEW DELHI: Congress leader Digvijay Singh on Tuesday wrote an open letter to the anti-corruption movement and Jan Lokpal Bill leader Anna Hazare, saying that he was being misled by the opposition party, BJP, with the promise of making him the President of India.
    "You have never raised your voice against the BJP," Singh, who has been a vocal critic of Team Anna, said and asked why he was "silent" on the issue of corruption when the BJP-led NDA was in power.

    In his letter, Digvijay Singh told Anna that his image was being "milked by people around him to further their interests and anti-Congress ideology."
    "Be it Shanti Bhushan or his son Prashant or your colleague Arvind Kejriwal. All these people have been opposed to the Congress. These people are taking benefit of your clean character for their own political gains," he said attacking Team Anna members

    See Full Story - http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow1/10313602.cms
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    1.
    Digvijay Singh is very famous for giving useless speech and people are fed up. Congress is in power since 1947 and congress has misled the people and always was shedding crocodile tears for poor whereas the share of poor has been deposited by the very senior congress leaders in Swiss Bank. Diggi Raja where were you when Anna was arrested from his residence and the home minister was not aware of his where about. What have you told when Baba Ram Deo's supporters were attacked in mid night and one lady died in hospital. Your party is in favour of strong lok pal bill but let see the winter session. Anna is right and he has encouraged us and awakened from slumber. Till now the name of even single person whose black money is kept in swiss bank is not declared. What action has been taken against Sheila Dixit who is involved in CWG scam as per the CAG report. Congress party always set up a commission but did not agree with findings where congress corrupt leaders are involved. Please do not guide Anna but guide your corrupt leaders to be an honest.
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    2. Congress milks the Gandhis. Team Anna milks Anna . Difference ?
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    3.
    mauji (kanpur)
    Anna Hazare is social worker hence he had dedicated workers in his team. The culture of keeping "Chamacha" is necessary for political parties. He has many "chamachas" for him and he is himself "chamacha" for high command.
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    4.I really like this Digvijay.. When ever he opens his mouth in front of media ... there will be thousands of jokes get generated. He is a great entertainer... guys dont you think he sounds like a buffoon?

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    5.TO SOME EXTENT diggi raja sounds logical. its for ANNA to see what benefits his larger goals. his purity of purpose, was what people liked most and supported, if that gets coloured , it will be ANNA biggest looser, not to say COUNTRY will loose a good cause and chance to purify its PUBLIC LIFE. ANNA baba carefully take steps forward, DONT EVER TAKE PEOPLE SUPPORT FOR GRANTED, this mistake has costed MANY in the past

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    6.Pankaj Prasun (Not from RSS) (New Delhi)
    Bachpan mein Doctor ne Galti se Digvijay Singh ko ORS ki jagah RSS ka ghol pila diya tha, thats why jab bhi woh muh kholta hai RSS hi nikalta hai!
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    7.BREAKING NEWS DIGVIJAY SINGH HAS JOINED RSS---------------------------------------------If Any of you wants to drop your comment then use comment button at the bottom.

    Anna's image being milked by people around him: Digvijay Singh

    Sunday, October 9, 2011

    India Against Corruption - Team Anna

    India Against Corruption - Team Anna

    Annaji -
    "The dream of India as a strong nation will not be realised without self-reliant, self-sufficient villages, this can be achieved only through social commitment & involvement of the common man."

    Anna Hazare had to struggle for 11 years continuously against government for giving rights to citizens by making legislations for Right to Information, More Rights for the Gram Sabha, Regulating Transfers of the Government Officers, Prohibition and against Red Tapism.
    • After the ShivSena – BJP government came in power on March 11, 1995; Anna Hazare started communicating with the government for taking steps to curb corruption. He wrote to the government 15 times and had meetings with it.
    • He sent a letter to the government on January 12, 1998 asking it to make an act for Right to Information for checking corruption.
    • As government was not paying any heed to his demand even after writing many letters and discussions, he started dharna on April 6, 1995 at the Azad Maidan, Mumbai.
    • He again wrote to the government 10 times between April 6, 1998 and August 2, 1999 asking it to make the Act for Right to Information. In the mean time, Congress – NCP government came in power.
    • He communicated with the newly formed government 5 times pressing it to make the Act. As it failed to do this, he wrote to the govt. on April 6, 2000 warning it that a statewide dharna agitation in front of Collector Offices would be started from 1st may and he would go on fast from 20th May, 2000.



  • As per schedule, the dharna agitation started in front of all Collector Offices all over the state on 2nd May. The fast was postponed as the Central Government passed a bill in Lok Sabha on Information Technology.




  • Continued communication with the govt. Wrote 14 times and had meetings with the govt. One year lapsed.




  • On 1st March 2001, wrote to the govt. that he would start statewide maun andolan from 1st May if the govt. did not make the legislation. The Chief Minister held a meeting with other concerned ministers and Secretaries and made a promise that the govt. will pass the bill in the coming session.




  • After the promise from the Chief Minister, 81 days lapsed. Anna’s correspondence with the govt. was continued. He wrote again on 1st March 2001 telling that he would undertake maun on 9th August 2001 at his native village Ralegan Siddhi.




  • As per his warning, he started maun agitation on 9th August. On the same day, people started agitation all over Maharashtra.




  • After 4 days of maun, the Minister of Law and Justice Mr. Vilas Kaka Undalkar visited Ralegan Siddhi to discuss with Anna Hazare. He facilitated a telephonic discussion with the Chief Minister and the Chief Secretary of Maharashtra. After promise from them, Anna stopped his maun.




  • After the lapse of 1 year and a month and writing more than 15 letters, the govt. was not taking any action. So Anna started maun again on 21st Sept. 2002. After 5 days, four Ministers of the maharashtra Govt., viz. Mr. Dilip Valse Patil, Shivajirao Kardile, Shivajirao Moghe and R. R. Patil came to Ralegan Siddhi for discussions with Anna Hazare. After getting a written assurance from the Chief Minister and Chief secretary, Anna stopped his agitation.



    • A meeting between Anna Hazare and the govt. was held on 30th October 2002 at Mumbai where the Chief Minister, the Chief secretary, other ministers and senior officers participated in the meeting on behalf of the govt. Again a promise was made.
    • But as the govt. was not kepi ng its promise, Anna again warned on 21st January that he would undertake agitation on 20th February at Mumbai.
    • In the mean time, the Chief minister of Maharashtra got changed. The new CM Mr. Sushilkumar Shinde informed Anna Hazare that a solution would be found within a timeframe after a meeting with Ministers and Senior Officers. So Anna postponed his agitation.
    • A high level meeting was held at the Secretariat in Mumbai on 17th February and the CM promised that appropriate action would be taken.
    • After the failure of the govt. to keep its words, Anna again warned the govt. of agitation from August 9, 2003 at Mumbai.
    • Anna finally went on fast on 9th August 2003 at the Azad Maidan in Mumbai. Thousands of people from all over Maharashtra gathered at the site of fast in support of his agitation. At the same time, people also protested at Collector Offices at all district headquarters. All this mounted tremendous pressure on the govt. There was a threat of govt. collapse if the Act was not passed. Finaly, the President of India signed the Bill on 12th day of Anna’s fast and declared that the Act would be effective from 2002. Anna ended his fast at the hands of a noted Social Worker Mr. Tukaramdada Gitacharya.
    • The Right to Information Act came into effect in Maharashtra from 2002. With Anna’s persuasion, the same Act came into effect for the whole nation.
    • Likewise, the Acts for more rights to the Gram Sabha and against Red Tapism were passed by the government.

    Saturday, October 8, 2011

    Scams in India

    Scams in India




    राष्ट्रमंडल खेल घोटाला - यूपीए-2 के शासनकाल में हुए सबसे बड़े घोटालों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार, यह घोटाला करीब अस्सी हजार करोड़ का है। इस घोटाले में राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के तात्कालिक अध्यक्ष सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों को नाम आया है। इस घोटाले के सिलसिले में सुरेश कलमाडी इन दिनों जेल में हैं। कलमाडी पर खेल आयोजजन में खर्च की राशि बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगा है। 2010 के राष्ट्रमंडल खेल को लेकर राज्यसभा सांसद मणिशंकर अय्यर ने लगातार अपनी सरकार को निशाने पर लिया और इस खेल की आलोचना की।
    Source : मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
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    २जी स्पेक्ट्रम घोटाला -
    केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों जिनको त्याग करना पड़ा उनमे सर्व श्री सुरेश कलमाड़ीजी जो कि कामनवेल्थ खेल में ७०,००० हजार करोड़ का खेल किये। दुसरे महारास्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हद जिनको कारगिल शहीदों के लिए बने आवास में ही उलटफेर किया । तीसरे राजा साहब जिन्होंने १ लाख ७६ हजार करोड़ का वारा न्यारा किया। इसप्रकार राजा द्वारा किया गया घोटाला स्वातंत्र भारत का महाघोटाला होने का कीर्तिमान स्थापित किया।


    किसी भी विभाग या संगठन में कार्य का एक विशेस ढांचा निर्धारित होता है,टेलीकाम मंत्रालय इसका अपवाद हो गया है। विभाग ने सीएजी कि रिपोर्ट के अनुसार नियमो कि अनदेखी के साथ साथ अनेक उलटफेर किये। २००३ में मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत नीतियों के अनुसार वित्त मंत्रालय को स्पेक्ट्रम के आबंटन और मूल्य निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए । टेलीकाम मंत्रालय ने मंत्रिमंडल के इस फैसले को नजरंदाज तो किया ही आईटी ,वाणिज्य मंत्रालयों सहित योजना आयोग के परामर्शो को कूड़ेदान में डाल दिया । प्रधानमंत्री के सुझावों को हवा कर दिया गया। यह मामला २००८ से चलता चला आ रहा है, जब ९ टेलीकाम कंपनियों ने पूरे भारत में आप्रेसन के लिए १६५८ करोड़ रूपये पर २जी मोबाईल सेवाओं के एयरवेज और लाईसेंस जारी किये थे । लगभग १२२ सर्कलों के लिए लाईसेंस जारी किये गए इतने सस्ते एयरवेज पर जिससे अरबों डालर का नुकसान देश को उठाना पड़ा । स्वान टेलीकाम ने १३ सर्कलों के लाईसेंस आवश्यक स्पेक्ट्रम ३४० मिलियन डालर में ख़रीदे किन्तु ४५ % स्टेक ९०० मिलियन डालर में अरब कि एक कंपनी अतिस्लास को बेच दिया। एक और आवेदक यूनिटेक लाईसेंस फीस ३६५ मिलियन डालर दिए और ६०% स्टेक पर १.३६ बिलियन डालर पर नार्वे कि एक कम्पनी तेल्नेतर को बेच दिया।
    इतना ही नहीं सीएजी ने पाया कि स्पेक्ट्रम आबंटन में ७०% से भी अधिक कंपनिया हैं जो नाटो पात्रता कि कसौटी पर खरी उतरती है नही टेलीकाम मंत्रालय के नियम व शर्ते पूरी करती है । रिपोर्ट के अनुसार यूनिटेक अर्थात युनिनार ,स्वान याने अतिस्लत अलएंज जो बाद में अतिस्लत के साथ विलय कर लिया । इन सभी को लाईसेंस प्रदान करने के १२ महीने के अन्दर सभी महानगरो,नगरों और जिला केन्द्रों पर अपनी सेवाएँ शुरू कर देनी थी। जो इन्होंने नहीं किया ,इस कारण ६७९ करोड़ के नुकसान को टेलीकाम विभाग ने वसूला ही नहीं ।
    इस पूरे सौदेबाजी में देश के खजाने को १७६,००० हजार करोड़ कि हानि हुई । जब २००१ से अब तक २जी स्पेक्ट्रम कि कीमतों में २० गुना से भी अधिक कि बढ़ोत्तरी हुई है तो आखिर किस आधार पर इसे २००१ कि कीमतों पर नीलामी कि गई? देश के ईमानदार अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते रहे कि हमारे कमुनिकेसन मंत्री राजा ने किसी भी नियम का अतिक्रमण नही किया और भ्रष्ट मंत्री के दोष छिपाते रहे क्यों ?
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    आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाला मामले में महत्वपूर्ण दस्तावेज शहरी विकास विभाग से लापता -


    आदर्श हाऊसिंग सोसायटी घोटाला मामले में महत्वपूर्ण दस्तावेज शहरी विकास विभाग से लापता हैं। पुलिस ने आज यह जानकारी दी।

    विभाग के सचिव गुरुदास बाज्पे द्वारा मैरीन ड्राइव पुलिस को बीती रात दस्तावेजों के लापता होने की लिखित शिकायत करने के बाद पुलिस ने इस संबंध में चोरी का मामला दर्ज किया है।

    डीसीपी चेरिंग दोरजे ने बताया कि हमने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शहरी विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आदर्श हाउसिंग सोसायटी से संबंधित दस फाइलों में से कई दस्तावेज लापता हैं। करोड़ों रुपए के इस घोटाले की जाँच कर रही सीबीआई के संज्ञान में यह बात लायी गयी है।

    एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी ने बताया कि विभाग ने हमें आदर्श सोसायटी से संबंधित दस फाइलें सौंपी थी। जाँच के दौरान हमने महसूस किया कि चार नोटिंग पेपर फाइलों में से गायब हैं। हम विभाग के संज्ञान में यह बात लाए। अधिकारी ने बताया कि इन कागजों में राज्य सरकार के अधिकारियों तथा मुख्यमंत्री की टिप्पणियाँ हैं।

    दोरजे ने बताया कि जाँच जारी है। हम शहरी विकास विभाग के अधिकारियों से पूछताछ कर रहे हैं। आदर्श हाउसिंग सोसायटी मूल रूप से कारगिल युद्ध के नायकों तथा युद्ध विधवाओं को आवास मुहैया कराने के लिए छह मंजिला इमारत के रूप में बननी थी।
    लेकिन इसे कई कानूनों का उल्लंघन करते हुए 31 मंजिला इमारत में बदल दिया गया और इसके फ्लैट नौकरशाहों, राजनेताओं के रिश्तेदारों तथा रक्षा अधिकारियों को आवंटित कर दिए गए।


    News Source : Hindi Web Dunia Epaper
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    चारा घोटाला
    इसे पशुपालन घोटाला ही कहा जाना चाहिए क्योंकि मामला सिर्फ़ चारे का नहीं है. असल में, यह सारा घपला बिहार सरकार के ख़ज़ाने से ग़लत ढंग से पैसे निकालने का है. कई वर्षों में करोड़ों की रक़म पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली है.
    घपला रोशनी में धीरे-धीरे आया और जांच के बाद पता चला कि ये सिलसिला वर्षों से चल रहा था. शुरूआत छोटे-मोटे मामलों से हुई लेकिन बात बढ़ते-बढ़ते तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक जा पहुंची.


    लालू यादव: बुरे फंसे मामला एक-दो करोड़ रूपए से शुरू होकर अब 360 करोड़ रूपए तक जा पहुंचा है और कोई पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि घपला कितनी रक़म का है क्योंकि यह वर्षों से होता रहा है और बिहार में हिसाब रखने में भी भारी गड़बड़ियां हुई हैं.
    मामले के जाल में फंसे लालू यादव को इस सिलसिले में जेल जाना पड़ा, उनके ख़िलाफ़ सीबीआई और आयकर की जांच हुई, छापे पड़े और अब भी वे कई मुक़दमों का सामना कर रहे हैं. आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में सीबीआई ने राबड़ी देवी को भी अभियुक्त बनाया है.
    घपले की पोल बिहार पुलिस ने 1994 में राज्य के गुमला, रांची, पटना, डोरंडा और लोहरदगा जैसे कई कोषागारों से फर्ज़ी बिलों के ज़रिए करोड़ों रूपए की कथित अवैध निकासी के मामले दर्ज किए.रातो-रात सरकारी कोषागार और पशुपालन विभाग के कई सौ कर्मचारी गिरफ़्तार कर लिए गए, कई ठेकेदारों और सप्लायरों को हिरासत में लिया गया और राज्य भर में दर्जन भर आपराधिक मुक़दमे दर्ज किए गए.
    राब़ड़ी देवी भी लपेटे में लेकिन बात यहीं ख़त्म नहीं हुई, राज्य के विपक्षी दलों ने मांग उठाई कि घोटाले के आकार और राजनीतिक मिली-भगत को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए.सीबीआई ने मामले की जांच की कमान संयुक्त निदेशक यू एन विश्वास को सौंपी और यहीं से जांच का रुख़ बदल गया.
    शातिर कारगुज़ारी सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच के बाद कहा कि मामला उतना सीधा-सादा नहीं है जितना बिहार सरकार बता रही है.सीबीआई का कहना है कि चारा घोटाले में शामिल सभी बड़े अभियुक्तों के संबंध राष्ट्रीय जनता दल और दूसरी पार्टियों के शीर्ष नेताओं से रहे हैं और उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि काली कमाई का हिस्सा नेताओं की झोली में भी गया है. सीबीआई के अनुसार, राज्य के ख़ज़ाने से पैसा कुछ इस तरह निकाला गया- पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने चारे, पशुओं की दवा आदि की सप्लाई के मद में करोड़ों रूपए के फ़र्जी बिल कोषागारों से वर्षों तक नियमित रूप से भुनाए.
    विपक्ष ने चुनावी मुद्दा बनाया जांच अधिकारियों का कहना है कि बिहार के मुख्य लेखा परीक्षक ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन बिहार सरकार ने इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
    राज्य सरकार की वित्तीय अनियमितताओं का हाल ये है कि कई-कई वर्षों तक विधानसभा से बजट पारित नहीं हुआ और राज्य का सारा काम लेखा अनुदान के सहारे चलता रहा है.
    सीबीआई का कहना है कि उसके पास इस बात के दस्तावेज़ी सबूत हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री को न सिर्फ़ इस मामले की पूरी जानकारी थी बल्कि उन्होंने कई मौक़ों पर राज्य के वित्त मंत्रालय के प्रभारी के रूप में इन निकासियों की अनुमति दी थी.
    जांच के दौरान सीबीआई ने ये दावा भी किया लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी अपनी घोषित आय से अधिक संपत्ति रखने के दोषी हैं.
    व्यापक षड्यंत्र सीबीआई का कहना रहा है कि ये सामान्य आर्थिक भ्रष्टाचार का नहीं बल्कि व्यापक षड्यंत्र का मामला है जिसमें राज्य के कर्मचारी, नेता और व्यापारी वर्ग समान रूप से भागीदार है. मामला सिर्फ़ राष्ट्रीय जनता दल तक सीमित नहीं रहा. इस सिलसिले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र को गिरफ़्तार किया गया. राज्य के कई और मंत्री भी गिरफ़्तार किए गए. सीबीआई के कमान संभालते ही बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारियां हुईं और छापे मारे गए. लालू प्रसाद यादव के ख़िलाफ़ सीबीआई ने आरोप पत्र दाख़िल कर दिया जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और बाद में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने तक वे कई महीनों तक जेल में रहे. मामले के तेज़ी से निबटारे में बहुत सारी बाधाएं आईं. पहले तो इसी पर लंबी क़ानूनी बहस चलती रही कि बिहार से अलग होकर बने झारखंड राज्य के मामलों की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में होगी या रांची हाईकोर्ट में.
    सीबीआई ने ज़्यादातर मामलों में आरोप पत्र दाख़िल कर दिए हैं और जांच समाप्त हो गई है लेकिन मुक़दमों की सुनवाई शुरू होने में अभी वक्त लगेगा


    source : मुक्त ज्ञानकोष विकिपीडिया से
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    बोफोर्स घोटाला -
    सन् १९८७ में यह बात सामने आयी थी कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया। इसे ही बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स काण्ड के नाम से जाना जाता है।
    आरोप : -
    आरोप था कि राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की ने इस मामले में बिचौलिये की भूमिका अदा की, जिसके बदले में उसे दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला। कुल चार सौ बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डालर का था। आरोप है कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डालर की रिश्वत बांटी थी।


    इतिहास : -
    काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जांच की दिशा भी लगातार बदलती रही। एक दौर था, जब जोगिन्दर सिंह सीबीआई चीफ थे तो एजेंसी स्वीडन से महत्वपूर्ण दस्तावेज लाने में सफल हो गयी थी। जोगिन्दर सिंह ने तब दावा किया था कि केस सुलझा लिया गया है। बस, देरी है तो क्वात्रोक्की को प्रत्यर्पण कर भारत लाकर अदालत में पेश करने की। उनके हटने के बाद सीबीआई की चाल ही बदल गयी। इस बीच कई ऐसे दांवपेंच खेले गये कि क्वात्रोक्की को राहत मिलती गयी। दिल्ली की एक अदालत ने हिंदुजा बंधुओं को रिहा किया तो सीबीआई ने लंदन की अदालत से कह दिया कि क्वात्रोक्की के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं हैं। अदालत ने क्वात्रोक्की के सील खातों को खोलने के आदेश जारी कर दिये। नतीजतन क्वात्रोक्की ने रातों-रात उन खातों से पैसा निकाल लिया।
    2007 में रेड कार्नर नोटिस के बल पर ही क्वात्रोक्की को अर्जेन्टिना पुलिस ने गिरफ्तार किया। वह बीस-पच्चीस दिन तक पुलिस की हिरासत में रहा। सीबीआई ने काफी समय बाद इसका खुलासा किया। सीबीआई ने उसके प्रत्यर्पण के लिए वहां की कोर्ट में काफी देर से अर्जी दाखिल की। तकनीकी आधार पर उस अर्जी को खारिज कर दिया गया, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ वहां की ऊंची अदालत में जाना मुनासिब नहीं समझा। नतीजतन क्वात्रोक्की जमानत पर रिहा होकर अपने देश इटली चला गया। पिछले बारह साल से वह इंटरपोल के रेड कार्नर नोटिस की सूची में है। सीबीआई अगर उसका नाम इस सूची से हटाने की अपील करने जा रही है तो इसका सीधा सा मतलब यही है कि कानून मंत्रालय, अटार्नी जनरल और सीबीआई क्वात्रोक्की को बोफोर्स मामले में दलाली खाने के मामले में क्लीन चिट देने जा रही है।
    यह ऐसा मसला है, जिस पर 1989 में राजीव गांधी की सरकार चली गयी थी। विश्वनाथ प्रताप सिंह हीरो के तौर पर उभरे थे। यह अलग बात है कि उनकी सरकार भी बोफोर्स दलाली का सच सामने लाने में विफल रही थी। बाद में भी समय-समय पर यह मुद्दा देश में राजनीतिक तूफान लाता रहा। इस प्रकरण के सामने-आते ही जिस तरह की राजनीतिक हलचल शुरू हुई, उससे साफ है कि बोफोर्स दलाली आज भी भारत में बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।


    News Source : http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%AB%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B8_%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE
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    तेलगी को स्टाम्प घोटाले में दस साल की सजा
    अरबों रुपए के फर्जी स्टाम्प पेपर घोटाले के मुख्य षडयंत्रकर्ता अब्दुल करीम तेलगी को यहां की एक विशेष अदालत ने बुधवार को दोषी करार देते हुए उसे दस वर्ष कैद की सजा सुनाई।


    न्यायाधीश चन्द्रशेखर पाटिल ने उपारपेट पुलिस द्वारा वर्ष 2003 में तेलगी और 32 अन्य के खिलाफ दायर पहले मामले पर सजा सुनाते हुए तेलगी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। न्यायाधीश ने तेलगी के 21 सहयोगियों को सात-सात वर्ष कैद की सजा के अलावा दस-दस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।


    न्यायाधीश ने इस मामले में पूर्व मंत्री और कांग्रेसी नेता रोशन बेग के भाई रेहान बेग समेत 11 लोगों को बरी कर दिया।


    यह घोटाला उस समय सामने आया था जब पुलिस ने तेलगी के सहयोगी बदरूदीन को फर्जी स्टाम्प पेपरों को ले जाते समय गिरफ्तार किया था। इस बीच तेलगी के वकील शंकराप्पा ने कहा कि वह विशेष अदालत के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।


    Scam is too big and where has money gone. Penalty of Rs. 50000/-?
    In India where so many farmers doing sucide due to petty amount, so many children lives in slums , below poverty line (BPL).
    Question is of money and its recovery. Is the money in Swiss Bank ?
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    गोवा खनन घोटाला : पीएसी अध्यक्ष पद से पर्रिकर हटाए गए


    पणजी। गोवा में 3,500 करोड़ रुपये के कथित अवैध खनन घोटाले में शुक्रवार देर शाम एक नया मोड़ आ गया। विधानसभा अध्यक्ष प्रतापसिंह राणे ने लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मनोहर पर्रिकर को उनके पद से हटा दिया। पीएसी की रिपोर्ट सदन के पटल पर न रखे जाने से नाराज विपक्ष के नेता एवं समिति के अध्यक्ष पर्रिकर ने राणे पर कांग्रेस से मिलीभगत का आरोप लगाया।


    यह आदेश शुक्रवार शाम तब जारी किया गया जब पर्रिकर ने राणे पर कांग्रेस का पक्ष लेने तथा गोवा के कई हजार करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले में संलिप्त एक ऐसे व्यक्ति को बचाने का आरोप लगाया जिसके खिलाफ पीएसी ने दस्तावेज जुटाए हैं।


    पर्रिकर का कहना है कि जब उन्होंने बुधवार को ही रिपोर्ट सौंप दी थी तो इसे सदन पटल पर रखे जाने से रोकना विधानसभा अध्यक्ष प्रतापसिंह राणे के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।


    पर्रिकर ने कहा, "आप रिपोर्ट को पेश करना नहीं चाहते हैं। हम बहिर्गमन कर रहे हैं क्योंकि हम किसी भी गैर कानूनी काम के भागीदार नहीं बनना चाहते।"


    पर्रिकर ने विधानसभा अध्यक्ष पर राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के 75 प्रतिशत विधायक अवैध खनन में संलिप्त हैं।"


    पर्रिकर ने पत्रकारों से कहा, "विधानसभा अध्यक्ष सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वह किसी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।"


    रिपोर्ट को सदन में पेश करने से इंकार करते हुए राणे ने कहा, "रिपोर्ट की बारीकी से जांच करना मेरी जिम्मेदारी है। यदि यह नियमों के अनुरूप नहीं होगी तो इस तरह की रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकती। उन्हें इसके लिए कार्यक्रम बनाना चाहिए था। मुझे इस रिपोर्ट को पढ़ना पड़ेगा।"


    राणे ने कहा कि पीएसी के सात सदस्यों में से सत्तारूढ़ कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन के चार सदस्यों ने रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।


    इन चार विधायकों ने मंगलवार को यह कहकर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था कि उन्हें पहले दस्तावेज का अध्ययन करना होगा।


    रिपोर्ट में राज्य सरकार की कई एजेंसियां जांच के घेरे में आई हैं। इनमें खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग, वन विभाग व पुलिस विभाग शामिल हैं। इनके अलावा केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारतीय खनन ब्यूरो और खनन सुरक्षा महानिदेशालय पर भी गोवा में हुए अवैध खनन की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।


    बुधवार को पीएसी की रिपोर्ट अध्यक्ष को सौंपे जाने के कुछ घंटे बाद पर्रिकर ने विधानसभा में अवैध खनन घोटाले की जिम्मेदारी अपरोक्ष रूप से कामत पर डाली थी।


    पर्रिकर ने कहा, "क्या मुख्यमंत्री खनन विभाग की स्थिति को बदलना नहीं चाहते। क्या वह दोषियों को सजा दिलवाना नहीं चाहते। क्या कोई तीसरा व्यक्ति इस बात का अनुमान लगाएगा कि वह इसमें शामिल थे।"


    उन्होंने कहा, "जब वह मुख्यमंत्री थे तब निर्यात 1.6 करोड़ टन से बढ़कर 5.4 करोड़ टन हो गया था..खनन में अब तीन गुना की वृद्धि हो गई है। करीब तीन करोड़ टन अयस्क का उत्पादन वैध है जबकि दो करोड़ टन खनन वैध नहीं है।"


    इस बीच, भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य में हजारों करोड़ रुपये के अवैध खनन घोटाले का लाभ पाने वालों में मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हैं।


    भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया ने कहा कि नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में पदस्थ एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी इस घोटाले में शामिल हैं।


    पूर्व सांसद सोमैया ने कहा, "मात्र दो साल में 25,000 करोड़ रुपये का घोटाला भारत का सबसे बड़ा अवैध खनन घोटाला है। 2जी घोटाले की तरह इस घोटाले में धन विभिन्न कम्पनियों के माध्यम से आया। ये कम्पनियां कर बचाने की दृष्टि से स्वर्ग माने जाने वाले मॉरीशस और साइमन द्वीपों पर हैं।"


    एक दशक से अधिक समय तक गोवा के खनन मंत्री रहे कामत की ओर इशारा करते हुए सोमैया ने इस घोटाले के सिलसिले में कई अन्य नेताओं तथा राज्य के मंत्रियों के नाम भी लिए।


    News Source : http://www.merikhabar.com/News/BJPs_Parrikar_removed_from_Goa_PAC_after_mining_report_%E2%80%8E_N44189.html
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